User:Acharya Agnivrat/Vaidic Physics/Ved Vigyan Alok

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Topic
1 Ved Vigyan Alok
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वेद विज्ञान आलोक

Ved Vigyan Alok[edit]

व्याख्याता एवं पुरस्कर्ता – आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक

Part-1 | भाग–१[edit]

Preface( पूर्वपीठिका )[edit]

Chapter 1 | ईश्वर स्तुति प्रार्थना[edit]

Chapter 2 | विद्‍या की व्यापकता एवं उसकी उपादेयता[edit]

Chapter 3 | सृष्टि–विज्ञान एवं उसका महत्व[edit]

Chapter 4 | संसार में भाषा एवं ज्ञान विज्ञान की उत्पत्ति[edit]

Chapter 5 | आधुनिक सृष्टि उत्पत्ति विज्ञान समीक्षा[edit]

Chapter 6 | ईश्वर तत्व मीमांसा[edit]

Chapter 7 | वैदिक सृष्टि उत्पत्ति विज्ञान[edit]

Chapter 8 | ब्राह्मण ग्रन्थों का स्वरूप एवं उनका प्रतिप्राद्‍य विषय[edit]

Chapter 9 | वेद का यथार्थ स्वरूप[edit]

Chapter 10 | हमारी व्याख्यान शैली तथा अन्य भाष्यों से तुलना[edit]

Panchika 1[edit]

Chapter 1[edit]

1.1[edit]

१. अग्निर्वै देवानामवमो विष्णुः परमस्तदन्तरेण सर्वा अन्या देवताः ।।

कंडिका–१

२. आग्नावैष्णवं पुरोडाशं निर्वपन्ति दीक्षणीयमेकादशकपालम् ।।


३. सर्वाभ्य एवैनं तद्देवताभ्योऽनन्तरायं निर्वपन्ति ।।


४. अग्निर्वै सर्वा देवता विष्णुः सर्वा देवता।।

५. एते वै यज्ञस्यान्ते तन्वौ यदग्निश्च विष्णुश्च तद्यदाग्नावैष्णवं पुरोडाशं निर्वपन्त्यत एव तद्देवानृध्नुवन्ति ।।

Vva 1.1.1

६. तदाहुर्यदेकादशकपालः पुरोडाशो द्वाग्नाविष्णू कैनयोस्तत्र क्लृप्तिः, का विभक्तिरिति।।

अष्टाकपाल आग्नेयः, अष्टाक्षरा वै गायत्री, गायत्रमग्नेश्छंदः, त्रिकपालो वैष्णवः,  त्रिर्हीदं  विष्णुर्व्यक्रमत. सैनयोस्तत्र क्लृप्तिः सा विभक्तिः ।।

Vva 1.1.2
Vva 1.1.3

७. घृते चरुं निर्वपेत योSप्रतिष्ठितो मन्येत ।। अस्यां वाव स न प्रतितिष्ठति  यो न प्रतितिष्ठति ।।


८. तद्यद्घृतं तत्स्त्रियै पयः. ये तंडुलास्ते पुंसस्तन्मिथुनं मिथुनेनैवैनं तत्प्रजया पशुभिः प्रजनयति प्रजात्यै ।।

९. आरब्धयज्ञो वा एष  आरब्धदेवतो यो दर्शपूर्णमासाभ्यां यजत आमावास्येन वा हविषेष्ट्वा पौर्णमासेन वा तस्मिन्नेव हविषि तस्मिन् बर्हिषि दीक्षेतैषा एका दीक्षा ।।

Vva 1.1.5

१०. सप्तदश सामिधेनीरनुब्रूयात् ।।

११. सप्तदशो वै प्रजापतिर्द्वादश मासाः पंचर्तवो हेमंतशिशिरयोः समासेन तावान्त्संवत्सरः संवत्सरः प्रजापतिः ।।

१२. प्रजापत्यायतनाभिरेवाSSभी राध्नोति य एवं वेद ॥

1.2[edit]

१. यज्ञो वै देवेभ्य उदक्रामत् तमिष्टिभिः प्रेषमैछन्यदिष्टिभिः प्रैषमैच्छंस्तदिष्टीनामिष्टित्वं तमन्वविन्दन ।।

२. अनुवित्तयज्ञो रानोति य एवं वेद ।।

३. आहूतयो वै नामैता यदाहुतय एताभिर्वे देवान् यजमानो ह्वयति तदाहतीनामाहूतित्त्वम् ।।

धन व ऋण आवेशित कणों के मध्य आकर्षण
Vva 1.2.2
Vva 1.2.3

४. ऊतयः खलु वै ता नाम याभिर्देवा यजमानस्य हवमायन्ति. ये वै पन्थानो याः स्रुतयस्ता वा ऊतयस्त उ एवैतत्स्वर्गयाणा यजमानस्य भवन्ति ।।

Vva 1.2.5
Vva 1.2.6

५. तदाहुर्यदन्यो जुहोत्यथ योSनु चाSSह यजति च कस्मात् तं होतेत्याचक्षत इति ।।

यद्वाव स तत्र यथाभाजनं देवता अमुमावहामुमावहेत्यावाहयति तदेव होतुर्होतृत्वं होता भवति ।।

होतेत्येनमाचक्षते य एवं वेद ।।

Chapter 2[edit]

Chapter 3[edit]

Chapter 4[edit]

Chapter 5[edit]

Part-2 | भाग–२[edit]

Panchika 2[edit]

Panchika 3[edit]

Part-3 | भाग–३[edit]

Panchika 4[edit]

Panchika 5[edit]

Part-4 | भाग–४[edit]

Panchika 6[edit]

Panchika 7[edit]

Panchika 8[edit]

परिचय वैदिक भौतिकी | Introduction to Vaidic Physics[edit]

Introduction to Vadic Physics

1. परिभाषा[edit]

2. सृष्टि ज्ञान क्यों आवश्यक?[edit]

3. ब्रह्माण्ड की प्रारम्भिक अवस्था[edit]

4. काल क्या है?[edit]

5. सृष्टि उत्पत्ति के प्रारम्भिक चरण[edit]

6. रश्मियाँ एवं उनके गुण[edit]

7. छन्द रश्मियाें का वर्गीकरण[edit]

8. आकाश[edit]

9. विभिन्न प्रकार के बल[edit]

10.गुरुत्व बल[edit]

11.आवेश का स्वरूप[edit]

12.तंरगाणुओं व मूलकणों की उत्पत्ति[edit]

13.ऊर्जा[edit]

14.असुर पदार्थ एवं असुर ऊर्जा[edit]

15.द्रव्यमान एवं उसका कारण[edit]

16.तरंगाणु[edit]

17.तारों का निर्माण[edit]

18.विद्‍युत चुम्बकीय तरंगें[edit]

19.महाप्रलय[edit]