User:Mr.sandeep yadav

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Mr Sandeep yadav Hiii dosto I am Mr.sandeep yadav. I am blog author. Suvichar of the day### 24 February, 2018

       *आज का सुविचार*।

मुस्कान और मदद ये दो*

        *ऐसे इत्र हैं जिन्हें जितना*
       *अधिक आप दूसरों पर*
          *छिड़केंगे उतने ही*
      *सुगन्धित आप स्वंय होंगे...*


🍃 *ज़िन्दगी को "आसान" नहीं,*
  • बस खुद को "मजबूत" बनाना पड़ता है।*
  • उत्तम समय कभी नहीं आता,*
  • समय को उत्तम बनाना पड़ता है।* 🍃

🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃

  • 👌💥: एक खूबसूरत सोच :💥👌*
  • ✍🏻जन्म से ना तो कोई दोस्त पैदा होता है और ना ही दुश्मन, वह तो हमारे घमंड, ताकत या व्यवहार से बनते है।*
  • ज़िंदगी को अगर खुल कर जीना है तो थोडा सा झुक कर जियो, तब देखो फिर, ये ईश्वर आपको कितना ऊँचा उठा देंगा..*
           *❣दिल से लिखी बातें*
           *दिल को छू जाती हैं*
       
   *कुछ लोग मिलकर बदल जाते हैं*
                    *और*
         *कुछ लोगों से मिलकर*
         *जिन्दगी बदल जाती है।*

🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾

  • ☝एक बार इस कविता को*
  • 💘दिल से पढ़िये*
  • 😋शब्द शब्द में गहराई है...*
  • ⛺जब आंख खुली तो अम्‍मा की*
  • ⛺गोदी का एक सहारा था*
  • ⛺उसका नन्‍हा सा आंचल मुझको*
  • ⛺भूमण्‍डल से प्‍यारा था*
  • 🌹उसके चेहरे की झलक देख*
  • 🌹चेहरा फूलों सा खिलता था*
  • 🌹उसके स्‍तन की एक बूंद से*
  • 🌹मुझको जीवन मिलता था*
  • 👄हाथों से बालों को नोंचा*
  • 👄पैरों से खूब प्रहार किया*
  • 👄फिर भी उस मां ने पुचकारा*
  • 👄हमको जी भर के प्‍यार किया*
  • 🌹मैं उसका राजा बेटा था*
  • 🌹वो आंख का तारा कहती थी*
  • 🌹मैं बनूं बुढापे में उसका*
  • 🌹बस एक सहारा कहती थी*
  • 🌂उंगली को पकड. चलाया था*
  • 🌂पढने विद्यालय भेजा था*
  • 🌂मेरी नादानी को भी निज*
  • 🌂अन्‍तर में सदा सहेजा था*
  • 🌹मेरे सारे प्रश्‍नों का वो*
  • 🌹फौरन जवाब बन जाती थी*
  • 🌹मेरी राहों के कांटे चुन*
  • 🌹वो खुद गुलाब बन जाती थी*
  • 👓मैं बडा हुआ तो कॉलेज से*
  • 👓इक रोग प्‍यार का ले आया*
  • 👓जिस दिल में मां की मूरत थी*
  • 👓वो रामकली को दे आया*
  • 🌹शादी की पति से बाप बना*
  • 🌹अपने रिश्‍तों में झूल गया*
  • 🌹अब करवाचौथ मनाता हूं*
  • 🌹मां की ममता को भूल गया*
  • ☝हम भूल गये उसकी ममता*
  • ☝मेरे जीवन की थाती थी*
  • ☝हम भूल गये अपना जीवन*
  • ☝वो अमृत वाली छाती थी*
  • 🌹हम भूल गये वो खुद भूखी*
  • 🌹रह करके हमें खिलाती थी*
  • 🌹हमको सूखा बिस्‍तर देकर*
  • 🌹खुद गीले में सो जाती थी*
  • 💻हम भूल गये उसने ही*
  • 💻होठों को भाषा सिखलायी थी*
  • 💻मेरी नीदों के लिए रात भर*
  • 💻उसने लोरी गायी थी*
  • 🌹हम भूल गये हर गलती पर*
  • 🌹उसने डांटा समझाया था*
  • 🌹बच जाउं बुरी नजर से*
  • 🌹काला टीका सदा लगाया था*
  • 🏯हम बडे हुए तो ममता वाले*
  • 🏯सारे बन्‍धन तोड. आए*
  • 🏯बंगले में कुत्‍ते पाल लिए*
  • 🏯मां को वृद्धाश्रम छोड आए*
  • 🌹उसके सपनों का महल गिरा कर*
  • 🌹कंकर-कंकर बीन लिए*
  • 🌹खुदग़र्जी में उसके सुहाग के*
  • 🌹आभूषण तक छीन लिए*
  • 👑हम मां को घर के बंटवारे की*
  • 👑अभिलाषा तक ले आए*
  • 👑उसको पावन मंदिर से*
  • 👑गाली की भाषा तक ले आए*
  • 🌹मां की ममता को देख मौत भी*
  • 🌹आगे से हट जाती है*
  • 🌹गर मां अपमानित होती*
  • 🌹धरती की छाती फट जाती है*
  • 💧घर को पूरा जीवन देकर*
  • 💧बेचारी मां क्‍या पाती है*
  • 💧रूखा सूखा खा लेती है*
  • 💧पानी पीकर सो जाती है*
  • 🌹जो मां जैसी देवी घर के*
  • 🌹मंदिर में नहीं रख सकते हैं*
  • 🌹वो लाखों पुण्‍य भले कर लें*
  • 🌹इंसान नहीं बन सकते हैं*
  • ✋मां जिसको भी जल दे दे*
  • ✋वो पौधा संदल बन जाता है*
  • ✋मां के चरणों को छूकर पानी*
  • ✋गंगाजल बन जाता है*
  • 🌹मां के आंचल ने युगों-युगों से*
  • 🌹भगवानों को पाला है*
  • 🌹मां के चरणों में जन्‍नत है*
  • 🌹गिरिजाघर और शिवाला है*


  • 🌹हर घर में मां की पूजा हो*
  • 🌹ऐसा संकल्‍प उठाता हूं*
  • 🌹मैं दुनियां की हर मां के*
  • 🌹चरणों में ये शीश झुकाता हूं..*
    जितना आप अपनी माँ को प्यार करते हैं उतना शेयर करें

(*Mr.Sandeep yadav)