User:Manojhindustani36
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- मेरी कलम*
1.आगोश में भर के बो हमें यूं चाहता रहा आखिर हम उसे अपनी जान ना देते तो और क्या करते! 2.इस कदर मेरे सब्र का इम्तिहान ना ले इंसान हूँ आखिर टूटकर बिखर ही जाऊंगा 3.आयेंगे और मेरी कब्र पर जश्न मनायेंगे मैंनें भी उनको आबाद कहां छोडा है