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User:Neerajmeenu

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उठा लिया था डायरी मैं । लिख रहा था शायरी में ।। लफ्ज़ मेरे ही लिख रहा था । पर जिक्र तेरा ही हो रहा था ।। ना जाने कितने रंग लिखे थे । ना जाने कितने हसीन लम्हे थे ।। जितना भी लिखे बात उतनी बडी । वक्त निकला लेकिन कलम ना धमी ।।