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User:Rakesh yadav(goldi)

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https://scontent.fidr1-2.fna.fbcdn.net/v/t1.0-9/21106495_1935631686711404_121049738603255995_n.jpg?oh=c93ee6f22da48c60ef6cc155cb0d16f8&oe=5ACA83A1 जिंदाबाद साथियो

मेरा नाम राकेश यादव हे ! प्यार से मुझे लोग गोल्डी बुलाते हे ! में एक छोटे से गाव का रहने वाला हु, मेरे गाव का नाम छिदगाव हे, जो ग्राम डेठी,तहसील सिवनी मालवा जिला होशंगाबाद में आता हे ! मेरा जन्म 7 जुलाई 1993 को हुआ मेरी प्राथमिक पढाई अपने ही ग्राम छिदगाव में सरकारी स्कूल में हुई हे !फिर उसके बाद मेरी 8 वी से लेकर 12 तक नालंदा हायर सेकंडरी स्कूल सिवनी से पूरी हुई! और मेरा कॉलेज भी सिवनी मालवा से हुआ हे पर किसी कारण वस् मुझे अपनी कालेज की पढाई बिच में ही छोड़नी पड़ी ,फिर में उसके बाद हेदराबाद बाद चले गया ,वहा मेने राईस मिल में एक साल काम किया ! फिर में वहा से वापस आ गया और वापस आ कर में एक संस्था से जुड़ा जिसका नाम सिनर्जी संस्थान हे ! वो बच्चो के अधिकार व् युवा विकास पर पिछले 11 वर्षो से हरदा जिले में काम कर रही हे ! संस्था से जुड़ने के बाद में एक इन-टर्न-शिप पर गया ,उस इन-टर्न-शिप का नाम था इस्माइल ,उसमे जाने के बाद मुझे लगा की सोसल सेक्टर में ही काम करना चाहिए! और में फिर वहा से आने के बाद संस्था से ऐसे जुड़ गया जेसे "एक जिस्म दो जान" सिनर्जी के साथ मेने चलना शुरू किया और सोसल सेक्टर में केसे काम किया जाता हे वो शिखा साथ ही साथ में संस्था के कार्यकर्मो में भाग लेने लगा "और संस्था के साथ जुड़ कर मुझे मज़ा आने लगा और धीरे धीरे में अपने आप को सोसल कामो में आगे करने लगा और पूरा मन बना लिया था की आब कुछ भी हो जाये अपना आगे का भविष्य तो सोसल सेक्टर में ही बनाना हे! साथ ही मेने जो अपनी पढाई बिच में छोड़ दी थी ,उसे मेने शुरू किया आब मेरा लास्ट वर्ष हे बी एस डब्लू का! संस्था के साथ चलते चलते २ साल हो गये थे तभी संस्था में एक फेल्लो शिप आई ! उस फेल्लो शिप का नाम हे चेंज्लूम . मुझे उसके बारे में पता चला और मेने उस फेल्लो शिप को करने का मन बना लिया था .और फेल्लो शिप में अपना खुद का प्रोग्राम बना कर काम करना था बच्चो के अधिकार पर .तो मेने अपने प्रोजेक्ट्स का नाम मस्ती की पाठशाला रखा और बच्चो के अधिकार पर काम करना शुरू किया मस्ती की पाठशाला -मस्ती की पाठशाला का मतलब हे की "हर बच्चा महत्वपूर्ण हे हर बच्चे में एक महत्वपूर्ण गुण होता हे! उसे केसे मस्ती बाहर निकल कर लेकर आ पाए और उस गुण को उसके घर परिवार आस पढ़ोस में दिखा पाए .क्युकी होता हे ना बच्चो से कभी उनके अधिकार नहीं पूछे जाते ,और में मस्ती की पाठशाला इसलिए भी कर रहा हु क्युकी मुझे लगता हे की जब में छोटा था तो जहा मुझे वो अधिकार वो स्पेस नहीं मिला में वो स्पेस अपने गाव के बच्चो को दिला पाउ और में पिचले एक साल से इस प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा हु क्युकी मुझे ऐसा लगता हे की बचपन में मेरे अधिकारों का हनन हुआ हे और बस अब में नहीं चाहता की मेरे गाव के बच्चे भी इसे सहे साथ ही मस्ती की पाठशाला एक एसी जगह हे जहा बच्चा आ सके हस सके बोल पाए और अपने मन का काम भी कर पाए में बच्चो के साथ मस्ती मस्ती की कबाड़े से जुगाड़ की चीजे बनाना शिखता हु ,साथ ही की-लोकिट,कागज से गुलदस्ते,और आस पास से उनकी सहभागिता बनाने व् बढाने की कोशिस करता हु साथ ही बच्चो को खेल खेल में "सत्तत विकास लक्ष्य" "खुद से समाज की यात्रा" "संविधान" व् परियावरण के टास्क देता हु ! और बच्चे उसे पूरा भी करते हे ! https://www.youtube.com/watch?v=uScZ4FElxG4