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User:Subbuuuuu

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सत्यमेव परं मित्रं

       स्वीकृते सति मानवे

सत्यमेव परं शत्रुः

       धिक्कृते सति मानवे।
  • भावार्थ:*

यदि हम सत्य को स्वीकार करते हैं तो वह हमारा सबसे श्रेष्ठ मित्र बन जाता है, परंतु यदि हम सत्य का स्वीकार न करके धिक्कारते हैं, तो जीवन में आगे चलकर वही सत्य हमारे लिए परम शत्रु बन जाता है ।